सामान्य पूजा अनुष्ठान
स्नान और शुद्धिकरण: पूजा करने से पहले स्नान और शुद्धिकरण करना।
– ध्यान और प्रार्थना: ध्यान और भगवान का आह्वान करना।
– मंत्र जाप: विशेष मंत्रों का जाप करना।
– हवन और यज्ञ: अग्नि को समर्पित हवन और यज्ञ करना।
– अर्घ्य और भोग: भगवान को अर्घ्य और भोग अर्पण करना।
General Puja Rituals
Bathing and purification: Bathing and purification before performing puja.
– Meditation and prayer: Meditating and invoking God.
– Mantra chanting: Chanting special mantras.
– Havan and Yagna: Performing havan and yagna dedicated to the fire.
– Arghya and Bhog: Offering arghya and bhog to God.
इन पूजाओं के माध्यम से ग्रहों और नक्षत्रों की अनुकूलता को सुनिश्चित किया जाता है और इससे व्यक्ति के जीवन में शांति, समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है।
Through these pujas, the favorability of the planets and constellations is ensured and this brings peace, prosperity and success in one’s life.
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शिव पूजन(Lord Shiva Worship
शक्ति पूजन (Goddess Shakti Worship)
विष्णु पूजन (Lord Vishnu Worship)
लक्ष्मी पूजन (Goddess Lakshmi Worship)
गणेश पूजन (Lord Ganesha Worship
हनुमान पूजन (Lord Hanuman Worship)
सोलह संस्कार (16 Sanskars) के अनुष्ठान
1. गर्भाधान संस्कार (Garbhaadhaan Sanskar)
महत्व यह संस्कार संतान प्राप्ति के उद्देश्य से किया जाता है। विधि: विवाह के बाद पहले संयोजन के समय विशेष मंत्रों का उच्चारण और देवताओं का आह्वान।
2. पुंसवन संस्कार (Punsavan Sanskar)
- महत्व: गर्भधारण के तीसरे महीने में संतान के स्वास्थ्य और विकास के लिए किया जाता है। - विधि: गर्भवती महिला के लिए विशेष औषधियों का सेवन और मंत्रों का जाप।
3. सीमंतोन्नयन संस्कार (Seemantonnayan Sanskar)
- महत्व: गर्भधारण के चौथे या आठवें महीने में मां और बच्चे की सुरक्षा के लिए किया जाता है। - विधि: गर्भवती महिला की बालों की मांग भरना, भजन-कीर्तन, और हवन।
4. जातकर्म संस्कार (Jaatakarm Sanskar)
महत्व: जन्म के समय नवजात शिशु के लिए किया जाता है। - विधि: शिशु के मुंह में शहद और घी देना, मंत्रोच्चार, और आशीर्वाद।
5. नामकरण संस्कार (Naamkaran Sanskar)
महत्व: जन्म के दसवें या बारहवें दिन शिशु का नामकरण करना। - विधि: परिवार और पुरोहित के सामने शिशु का नामकरण और आशीर्वाद।
6. निष्क्रमण संस्कार (Nishkraman Sanskar)
महत्व शिशु को पहली बार घर से बाहर ले जाने का संस्कार। - विधि: शिशु को सूर्य, चंद्रमा और देवताओं के दर्शन कराना और प्रार्थना।
7. अन्नप्राशन संस्कार (Annaprashan Sanskar)
महत्व: शिशु को पहली बार अन्न ग्रहण कराना। - विधि: छठे या आठवें महीने में शिशु को खीर या चावल खिलाना और पूजा।
8. चूडाकर्म संस्कार (Chudakarm Sanskar)
महत्व: शिशु का पहला मुंडन संस्कार। - विधि: प्रथम बार बाल कटवाना, हवन, और देवताओं का आह्वान।
कर्णवेध संस्कार (Karnavedh Sanskar)
महत्व: शिशु के कान छेदन का संस्कार। - विधि कान छेदन, मंत्रोच्चार, और पूजा।
10. विद्यारंभ संस्कार (Vidyarambh Sanskar)
महत्व: शिशु की शिक्षा का आरंभ। - विधि बच्चे को पहली बार लेखन और पठन का आरंभ कराना।
11. उपनयन संस्कार (Upanayan Sanskar)
महत्व: बच्चे को यज्ञोपवीत धारण कराना और शिक्षा की शुरुआत। - विधि: यज्ञोपवीत धारण, गुरु का आह्वान, और मंत्र शिक्षा।
12. वेदारंभ संस्कार (Vedarambh Sanskar)
महत्व: वेदों के अध्ययन का आरंभ। - विधि: वेदों का उच्चारण, गुरु का आह्वान, और प्रार्थना।
13. केशांत संस्कार (Keshant Sanskar)
महत्व: बच्चे का पहला मुंडन यज्ञोपवीत के बाद। - विधि: बाल कटवाना, स्नान, और हवन
14. समावर्तन संस्कार (Samavartan Sanskar)
महत्व: शिक्षा समाप्ति पर किया जाने वाला संस्कार। - विधि: स्नान, नया वस्त्र धारण, और गृहस्थ जीवन की शुरुआत।
15. विवाह संस्कार (Vivah Sanskar)
महत्व: जीवन साथी के साथ गृहस्थ जीवन की शुरुआत। - विधि: वरमाला, सप्तपदी, सिंदूरदान, और हवन।
16. अंत्येष्टि संस्कार (Antyeshti Sanskar)
महत्व: मृत्यु के बाद आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए। - विधि: शव का अंतिम संस्कार, हवन, और प्रार्थना।